देहरादून
उत्तराखंड को जहां देवभूमि नाम से भी जाना जाता है तो वही अपनी अनूठी परंपरा वह भाषा के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है । लेकिन युवा पीढ़ी में अपनी बोली और भाषा के प्रति उतनी सजगता नहीं दिखाई दे रही है जितनी होनी चाहिए थी ।इसलिए उत्तराखंड सरकार भाषा और संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन हेतु ठोस कदम भी उठा रही है ।
इस विषय को लेकर संस्कृति विभाग कि राज्य मंत्री मधु भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी जैसी भाषा को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्यशाला का आयोजन संस्कृति विभाग के द्वारा विभिन्न समय पर किया जाता है ताकि बच्चे खास तौर पर अपनी संस्कृति से जुड़े रहें । साथ ही भाषा विभाग द्वारा बच्चों के पाठ्यक्रम में इन भाषाओं को भी इसको जोड़ने कार्य किया जा रहा है इसके अलावा भी सरकार लगातार उत्तराखंड की भाषा त्योहार को प्रमोट करती आ रही है जिसके तहत 13 गांव को संस्कृत गांव घोषित करने का कार्य मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया जो की एक महत्वपूर्ण कदम है उत्तराखंड की संस्कृति को बच्चों से लेकर हर एक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए और निश्चित रूप से ऐसे प्रोत्साहन से जो सरकार ,विभाग कर रहा है वह कहीं ना कहीं युवाओं में बच्चों में सकारात्मक सोच सीखने की चाहत को उत्पन्न करेगा जो कि राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा.