उत्तरकाशी : काशी विश्वनाथ की धरती भागीरथी नदी के किनारे में बसे उत्तरकाशी में हिमालय कुंभ से मशहूर माघ मेला मकर संक्रांति के पवित्र पर्व पर देव डोलियों के साथ भव्य रूप से शुरू हो चुका है..
वहीं आपको बता दे कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस मेले का आयोजन जिला प्रशासन की निगरानी में किया जा रहा है..वैसे इस मेले का आयोजन उत्तरकाशी जिला पंचायत के द्वारा किया जाता है पर इस वर्ष नगर निकाय चुनाव होने के चलते मेले की बागडोर जिला प्रशासन ने अपने हाथ में ली है..इस मेले में गढ़वाल,जौनसार,रवाईं,कुमाऊं आदि के लोक सांस्कृतिक कलाकार कलाकार बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं..
वहीं इसी क्रम में मेले की चौथी संध्या पर अवसर पर उत्तराखंड की लोक गायिका कुसुम कुकरेती जौनसार बाबर के लोकगायक सुरेंद्र राणा के नाम रही..
वहीं कार्यक्रम में चार-चांद लगाने के लिए कुसुम कुकरेती और सुरेंद्र राणा द्वारा एक सुंदर नृत्य से जौनसार बाबर का छाप नृत्य कहा जाता है जिस नृत्य में सर पर आग जलाकर चाय बनाते अतिथियों के सत्कार आदर की एक भव्य झलक को दिखते हुए स्वागत किया गया..
वहीं माघ मेले के मंच पर इस प्रकार का कार्यक्रम शायद ही कभी देखने को मिला होगा और काफी समय से खाली पड़ा हुआ पंडाल इस नृत्य को देखने के लिए खचाखच भरा रहा..इसके साथ ही मेले में प्रशासन के कई अधिकारी भी अपने आप को इस सांस्कृतिक संध्या से दूरी नहीं बना पाए और इस दौरान आयोजक प्रशासन तमाम और मेलार्थियों ने कुसुम कुकरेती और सुरेंद्र राणा ने खूब तालियां बटोरी..
बता दे कि चाय नृत्य में सिर पर आग जलाकर चाय बनाई गई और नृत्य किया गया..वहीं जौनसार बाबर के सुप्रसिद्ध लोक गायक सुरेंद्र राणा और कुसुम कुकरेती के सात ही कई वाद्य यंत्रों पर कलाकारों ने साथ दिया..जिस कारण इस मेले की चौथी संस्कृति संध्या कुसुम कुकरेती और सुरेंद्र सिंह राणा के नाम रही..