रैथल गांव में मनाई जाती है दूध दही मक्खन की अनूठी होली।

उत्तरकाशी:

रैथल गांव के ग्रामीण हर वर्ष अपने मवेशियों के साथ गर्मियों की दस्तक के साथ ही रैथल गांव से 7 किमी की पैदल दूरी पर स्थित दयारा बुग्याल स्थित छानियों में चले जाते हैं। बुग्याल में कई किमी तक फैले बुग्याल मवेशियों के आदर्श चारागाह होते हैं और यहां उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर पौधों से दुधारू मवेशियों के दुग्ध उत्पादन में गांव के मुकाबले अप्रत्याशित वृद्धि होती है। मानसून बीतने के साथ ही जब बुग्याल में सर्दियां दस्तक देने लगती है तो ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ वापिस गांव लौटने की तैयारियों में जुट जाते हैं लेकिन इससे पूर्व ग्रामीण दयारा बुग्याल में मवेशियों और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए, दुधारू पशुओं के दूध में वृद्धि के लिए प्रकृति व स्थानीय देवताओं का आभार जताना नहीं भूलते। प्रकृति का आभार जताने के लिए ही ग्रामीण सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। भगवान कृष्ण द्वारा राधा संग मट्की फोडकर दूध दही की होली मनाई जाती है और साथ ही साथ ढोल बाजों के साथ नृत्य करते झांकी भी निकाली जाती है।

दयारा पर्यटन उत्सव समिति हर वर्ष भाद्रपद माह की संक्राति यानि अगस्त महीने के मध्य में दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव का भव्य आयोजन करती आ रही है। पूरी दुनिया में मक्खन मट्ठा दूध की यह अनोखी व अनूठी होली का आयोजन सिर्फ दयारा बुग्याल में ही होता है। दयारा पर्यटन उत्सव समिति बिगत दो दशकों से दयारा बुग्याल में इसे भव्य रूप से ग्रामीणों के साथ मिलकर मना रही है जिस कारण इस अढूडी उत्सव को अपने अनाखे रूप के कारण बटर फेस्टिवल का नाम मिला तो देश विदेश से हजारों पर्यटक भी हर साल इस अनोखे उत्सव में हिस्सा लेने के लिए रैथल व दयारा बुग्याल पहुंचते हैं।