उत्तराखंड के राजकीय मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था सधारने के लिए एसओपी से ईलाज हुआ शुरू

देहरादून – राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाओं का उपचार शुरू कर दिया है। जिसकी शुरुआत मेडिकल कालेजों से की गई है। राजकीय मेडिकल कालेजों में आपातकालीन चिकित्सा प्रबंधन को और अधिक दुरस्त करने के लिए नई गाइड लाइन  जारी की है। जिसके अनुसार किसी भी अस्पताल का यह दायित्व है कि इमरजेंसी में आने वाले हरेक मरीज को इमरजेंसी मेडिकल केयर उपलब्ध कराए। अगर मरीज के पास पैसे भी नहीं हैं तब भी चिकित्सक या अस्पताल उसके इलाज में न तो किसी तरह की देरी करेंगे और न ही इलाज से इन्कार करेंगे। स्वास्थ्य सचिव ने सख्त हिदायत दी है कि डाक्टर की पहली प्राथमिकता मरीज को तुरंत उपचार उपलब्ध कराने की होनी चाहिए, ताकि उसे बचाया जा सके। निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ आशुतोष सयाना ने कहा कि आपातकालीन चिकित्सा प्रबंधन पर लंबे विचार-विमर्श के बाद अस्पतालों के लिए एसओपी जारी की गई है। जिसके तहत ट्राइएज एरिया में मरीजों की त्वरित जांच, क्लीनिक प्रोटोकाल, डाक्युमेंटेशन और क्वालिटी एश्योरेंस आदि को लेकर एक विस्तृत गाइड लाइन बनाई गई है। इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को 10 मिनट के भीतर इलाज मिलना सुनिश्चित किया जाएगा। इस संबध में लापरवाही होने पर संबंधित मेडिकल कालेज के एमएस या प्राचार्य की जवाबदेही होगी।