देहरादून:- आज उतराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ राजेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूडी के जन संपर्क अधिकारी अशोक शाह को विधानसभा में अवैध रूप से लगे प्रोटोकॉल अधिकारी मयंक सिंघल को तत्काल हटाने को लेकर ज्ञापन सौंपा, उन्होंने बताया कि विधानसभा में किस प्रकार से अवैध शैक्षणिक दस्तावेजों के माध्यम से प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारी पद पर मयंक सिंघल जैसे भ्रष्टाचारी अधिकारी को तैनाती दी गयी है, मयंक सिंघल जो वर्ष 2006 में उप प्रोटोकॉल अधिकारी के रूप में विधानसभा में तदर्थ रूप से नियुक्त किया जाता है,विधानसभा सचिवालय सेवा नियम के अनुसार उप प्रोटोकॉल अधिकारी पद पर नियुक्ति हेतु स्नातक उपाधिधारण होना आवश्यक आर्हता है। श्री मयंक सिंघल विधानसभा में कार्यरत है तथा लगातार पदोन्नति प्राप्त करते हुए राजपत्रित अधिकारी प्रथम श्रेणी पद पर आसीन है।
सूचना के अधिकार से जब इनके शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की जाती है तो गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृन्दावन, मथुरा से दसवी अधिकारी परीक्षा व्यक्तिगत उतीर्ण दर्शाता है , जबकि उतराखंड एस. आई. टी. ने वर्ष 2012 से 2016 तक नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की थी जिसमें यह तथ्य भी एस आई टी जाँच के दौरान प्रकाश में आया कि गुरुकुल वृन्दावन, मथुरा से दसवी अधिकारी परीक्षा व्यक्तिगत माध्यम से नहीं कराई जाती है, एस आई टी ने जाँच रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को भेज दी थी, इसी प्रकार से सूचना के अधिकार के तहत सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश ने भी स्पष्ट किया कि गुरुकुल विश्वविद्यालय वृन्दावन, मथुरा की 12 वी पंडित परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की इंटरमीडिएट परीक्षा के समकक्ष ना तो पूर्व में मान्य थी और ना ही वर्तमान में मान्य है। इस प्रकार 12 वी पंडित परीक्षा कभी भी मान्य नहीं रही है।इसके साथ ही जब दसवी तथा इंटरमिडिएट के प्रमाणपत्रों की जांच की गयी तो इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र 10वी के प्रमाण पत्र से पहले जारी किया हुआ दर्शाता है, यह अपने आप में राज्य सरकार द्वारा पोषित अब तक के सबसे बड़े नियुक्ति घोटाले की पोल खोलता है।
केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण ने कहा कि विधानसभा में 2016 के भर्ती घोटाले की जाँच के लिए 2022 में विधानसभा अध्यक्ष रीतू खंडूरी ने एक जाँच समिति का गठन किया था जिसका कार्य विधानसभा सचिवालय में विधि एवं सेवा नियमों के विरुद्ध कार्मिकों/अधिकारियों की नियुक्ति /पदोन्नति के संबंध में जाँच करना था, लेकिन समिति ने खानापूर्ति करते हुए 2015 के बाद की नियुक्ति को रद्द किया, लेकिन मयंक सिंघल जैसे भ्रष्ट अधिकारी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उप प्रोटोकॉल अधिकारी से पदोन्नति होकर प्रोटोकॉल अधिकारी प्रथम श्रेणी पद तक पहुँचा जबकि उप प्रोटोकॉल अधिकारी जो कि समूह ग की श्रेणी में आता है, वही उत्तर प्रदेश से उतराखंड की विधानसभा में इस भ्रष्ट अधिकारी का नाम उतराखंड के कौन से रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हुआ यह भी सोचनीय विषय है,जबकि समूह ग के पदों के लिए सेवा योजन कार्यालय में पंजीकरण तथा स्थानीय निवासी होना अनिवार्य है, दूसरी ओर प्रश्न यह भी उठता है कि जब मयंक सिंघल की 10 वी तथा 12 वी के प्रमाणपत्र ही फर्जी है तो स्नातक में किस आधार पर दाखिला दिया गया, शैक्षिक दस्तावेज अमान्य होने के कारण स्पष्ट होता है कि मयंक सिंघल ने कूटरचित तरीके से अंकतालिका बनायी गयी है।
बिष्ट ने कहा कि ऐसे फर्जी तरीके से लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा में कार्यरत अधिकारी मयंक सिंघल का कृत्य भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, भारतीय दण्ड संहिता व कर्मचारी आचरण नियमावली के विभिन्न प्रावधानों के अधीन दंडनीय अपराध है। विधानसभा अध्यक्ष तत्काल इस पर कारवाई कर मयंक सिंघल के खिलाफ जालसाजी में मुकदमा दर्ज करे। अभी तक दिये जाने वाले सभी सुविधाओ तथा वेतन को वसूला जाए, ताकि न केवल विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जा सके बल्कि सरकार मे जनता के विश्वास को भी कायम रखा जा सके।
बिष्ट ने कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर मयंक सिंघल के खिलाफ कड़ी कारवाई नहीं की जाती है तो उक्रांद उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा, साथ ही कानूनी रूप से इस लडाई को लड़ेगा।
परवीन चंद रमोला ने कहा कि एक तरफ सरकार उतराखंड में नौकरियों पर रोक लगा कर युवाओं का मानसिक शोषण कर रही है, वही दूसरी ओर मयंक सिंघल जैसे भ्रष्टाचारी को संरक्षण देकर राज्य के आम जन मानस की भावनाओं के साथ कुठाराघात कर रही है।