हरिद्वार – धर्मनगरी हरिद्वार से प्रयागराज कुंभ मेले के लिए साधु-संतों का निरंतर रवानगी जारी है। विशेष रूप से कनखल स्थित पंचायती निर्मल अखाड़े के संतों ने आज सुबह कुंभ मेले के लिए अपनी यात्रा शुरू की। यह यात्रा हरिद्वार के प्रसिद्ध गंगा तट से प्रारंभ होती है, जहां से साधु-संतों का समूह बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ प्रयागराज के लिए रवाना हुआ।
आपको बता दे कुंभ मेला, जो हर बार चार वर्षों में एक बार होता है, हरिद्वार ,प्रयागराज, नासिक,व उज्जैन और भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में जाना जाता है। यह मेला न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, बल्कि साधु-संतों और महात्माओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जहां वे धर्म, भक्ति और समाज सेवा के कार्यों में जुटते हैं। पंचायती निर्मल अखाड़ा, जो हिन्दू धर्म के प्रमुख अखाड़ों में से एक है, हमेशा कुंभ मेले में बड़ी संख्या में साधु-संतों का आशीर्वाद देने और श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान का अवसर प्रदान करने के लिए अपनी भागीदारी निभाई है।
वही आज की इस यात्रा के दौरान, अखाड़े के संतों ने गंगाजल से तिलक कर, और आशीर्वाद प्रदान करते हुए अपने मार्ग को निर्धारित किया। उनके साथ शिष्य, भक्त और अन्य सहयोगी भी चल रहे थे। साधु-संतों की यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की प्राचीन धार्मिक परंपराओं का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
कुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचने के बाद, इन संतों का मुख्य उद्देश्य होगा पवित्र स्नान करना और अपने आध्यात्मिक अनुष्ठानों का पालन करना। इसके अलावा, वे भक्तों से संवाद करेंगे, धार्मिक उपदेश देंगे, और धर्म के प्रचार-प्रसार के कार्यों में भी हिस्सा लेंगे।
हरिद्वार से कुंभ मेले के लिए रवाना होते समय संतों ने भगवान से यह प्रार्थना की कि समस्त मानवता को शांति और सुख की प्राप्ति हो, और इस धार्मिक आयोजन के माध्यम से सभी को धार्मिक जागरूकता मिले।